वीर वही है जिसमें मृत्यु का भय नहीं होता, वीर वही है जिसका स्वाभिमान सर्वोपरि होता है। स्वतंत्रता का सही अर्थ समझने के लिए हमें हमारे पुरखों की गौरवगाथाओं पर गर्व करना चाहिए। मेवाड़ धरा ने महाराणा प्रताप जैसे वीरों को जन्म देकर भारत माँ का सम्मान बढ़ाया है
महाराणा प्रताप
साथियों ! मेरे सैनिकों। आपका युद्ध घोष 'दिल्ली चलो, दिल्ली चलो' होना चाहिए। मैं यह नहीं जानता कि हममें से कितने लोग स्वतंत्रता के युद्ध में जीवित रहेंगे। किंतु मैं यह जानता हूँ अंततः हम जीतेंगे।
नेताजी सुभाषचन्द्र बोस
मेरा नाम आजाद है, मेरे पिता का नाम स्वाधीनता है और मेरा घर जेलखाना है। - मैं जीवन की अंतिम सांस तक देश के लिए लड़ता रहूंगा। - मेरा यह छोटा- सा संघर्ष ही कल के लिए महान बन जाएगा। - सच्चा धर्म वही है जो स्वतंत्रता को परम मूल्य की तरह स्थापित करे।
चंद्रशेखर आजाद
"इंकलाब ज़िंदाबाद" "मरकर भी मेरे दिल से वतन की उल्फ़त नहीं निकलेगी, मेरी मिट्टी से भी वतन की ही खुशबू आएगी" "आपका जीवन तभी सफल हो सकता है जब आपका निश्चित लक्ष्य हो और आप उनके लिए पूरी तरह से समर्पित हो" "वे मुझे मार सकते हैं, लेकिन वे मेरे विचारों को नहीं मार सकते""बम और पिस्तौल से क्रांति नहीं आती, क्रांति की तलवार विचारों की सान पर तेज होती है"
वीर भगतसिंह
"सरफ़रोशी की तमन्ना, अब हमारे दिल में है। सर जो उठ जाते हैं वो, झुकते नहीं ललकार से", "न चाहूँ मान दुनिया में, न चाहूँ स्वर्ग को जाना", "अगर फिर जन्म लूं आकर तो भारत में ही हो आना", "हे मातृभूमि! तेरे चरणों में सिर नवाऊँ", "यदि देश हित मरना पड़े मुझको सहत्रों बार भी"
रामप्रसाद बिस्मिल
"यह झंडा भारत की आज़ादी का है. यह शहीद भारतीय युवाओं के खून से पवित्र हो चुका है", इस झंडे के नाम पर, मैं दुनिया भर के स्वतंत्रता प्रेमियों से अपील करता हूँ कि वे मानव जाति के पांचवें हिस्से को आज़ाद कराने में इस झंडे के साथ सहयोग करें", "आगे बढ़ो, हम हिन्दुस्तानी हैं और हिन्दुस्तान हिन्दुस्तानियों का है"
भीकाजी कामा
भारतीय क्रांतिकारी गतिविधियों का प्रसार विदेशों में भी हुआ। सबसे पहले श्यामजी वर्मा ने 1905 ई. में लंदन में 'इंडिया हाउस' की स्थापना की। 1909 में सोसायटी के एक सदस्य मदनलाल ढींगरा ने भारत मंत्री विलियम कर्जन वायली की हत्या कर दी। मदनलाल ढींगरा को प्राणदण्ड और विनायक दामोदर सावरकर को काले पानी की सजा दी गई।
मदनलाल ढींगरा
"मैं खुदीराम त्रैलोक्यनाथ बोस अपने राष्ट्र की आज़ादी का सपना देख रहा हूं और इस सपने को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हूं", "पराधीन राष्ट्र का छात्र अपनी मातृभूमि के प्रति कर्तव्यों की अनदेखी नहीं कर सकता", मैं उन महान क्रांतिकारी नेताओं से प्रेरित हूं जिन्होंने मातृभूमि की आज़ादी के लिए अपने सुख-सुविधाओं को त्याग दिया"
खुदीराम बोस
वीर दामोदर सावरकर उन महान राष्ट्रभक्त योद्धाओं की पंक्ति में खड़े होने लायक औचित्यपूर्ण व्यक्तित्व है, जिन्होंने भारतीय गुलामी की बेडियों को मुक्त करने में अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। एक गुलाम राष्ट्र के भीतर की परिस्थितियों के मनोविज्ञान का प्रभाव बचपन से ही सावरकर के चरित्र पर अमिट रहा
विनायक दामोदर सावरकर
वासुदेव बलवंत फड़के को भारत में सशस्त्र क्रांति का सूत्रधार माना जाता है, खादी और स्वदेशी का इस्तेमाल करने की शपथ ली थी, वे आधुनिक भारत के पहले क्रांतिकारी थे, जन-आक्रोश को दूर करने के लिए ऐक्यवर्धिनी सभा की स्थापना की थी, अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ असंतोष भड़काने और स्वराज की वकालत की
वासुदेव बलवंत फडके
अरविंद घोष का मानना था कि राष्ट्रवाद ईश्वर का आदेश है, हर व्यक्ति का यह धर्म है कि वह राष्ट्र की सेवा करे, अरविंद घोष एक पत्रकार भी थे और उन्होंने बंदे मातरम जैसे समाचार पत्रों का संपादन किया था, उन्होंने स्वतंत्रता के दो रूप बताए हैं: आंतरिक स्वतंत्रता और बाहरी स्वतंत्रता, वे ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से आज़ादी के लिए भारतीय आंदोलन में शामिल हुए थे
महर्षि अरविंद घोष
“एक छोटा कदम छोटे लक्ष्य पर, बाद मे विशाल लक्ष्य भी हासिल करा देता है।”
“शत्रु को कमजोर न समझो, तो अत्यधिक बलिष्ठ समझ कर डरना भी नही चाहिए।”
“जब लक्ष्य जीत की हो, तो हासिल करने के लिए कितना भी परिश्रम, कोई भी मूल्य , क्यो न हो उसे चुकाना ही पड़ता है।”
“जो मनुष्य समय के कुच्रक मे भी पूरी शिद्दत से, अपने कार्यो मे लगा रहता है। उसके लिए समय खुद बदल जाता है।”
छत्रपति शिवाजी महाराज
"छत्रपती संभाजी महाराज का पूरा नाम छत्रपती संभाजी राजे भोसले या शंभूछत्रपती था", "वे मराठा सम्राट और छत्रपती शिवाजी महाराज के उत्तराधिकारी थे", "वे छत्रपती शिवाजी महाराज और महाराणी सईबाई के थोरले चिरंजीव थे","औरंगज़ेब ने कुछ मराठा सरदारों को रिश्वत देकर संभाजी महाराज को पकड़ा था","संभाजी महाराज ने शिर्के मामाओं को भ्रष्टाचार के कारण वतनदारी (सत्तारूढ़ पद) से हटा दिया था"
छत्रपती संभाजी महाराज
भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी और पत्रकार तथा "युगान्तर" के संस्थापकों में से एक थे। वह 'बारिन घोष' नाम से भी प्रसिद्ध हैं। बंगाल में क्रांतिकारी विचारधारा को फैलाने का श्रेय बारीन्द्रकुमार घोष और भूपेन्द्रनाथ दत्त (विवेकानंद जी के छोटे भाई) को ही जाता है। महान अध्यात्मवादी श्री अरविन्द घोष उनके बड़े भाई थे। सन १९०९ से लेकर १९२० तक वे सेल्युलर जेल में बन्दी थे।
बारीन्द्र कुमार घोष
प्रफुल्ल चाकी ऐसे महान क्रांतिकारी थे जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के यज्ञ में अपने प्राणों की आहुति दे दी। विद्यार्थी जीवन में ही प्रफुल्ल का परिचय क्रांतिकारी संगठनों से हुआ। 1905 में बंगाल का विभाजन हो गया, जिसके विरोध में लोग उठ खड़े हुए। इस आंदोलन में छात्रों ने भी हिस्सा लिया. कक्षा 9 के छात्र प्रफुल्ल ईस्ट बंगाल को कानून तोड़ने के आरोप में छात्र विरोध प्रदर्शन में भाग लेने के कारण रंगपुर जिला स्कूल से निष्कासित कर दिया गया था।
प्रफुल्ल चाकी
1906 में राजेन्द्र लहीडी पहला सम्मेलन सुबोध मलिक के घर पर हुआ बंगाल विभाजन के उपरांत विदेशी माल का बहिष्कार तथा स्वदेशी आंदोलन जोर पकड़ गया। इस समिति ने विभाजन रद्द करवाना तथा स्वराज प्राप्ति पर विशेष बल दिया। 11 दिसंबर 1908 को अनुशीलन समिति को गैरकानूनी घोषित कर दिया गया। इन पर जो मुकदमा चलाया गया उसे अलीपुर षड्यंत्र केस के नाम से जाना जाता है।
राजेन्द्र लहीडी
9 अगस्त 1925 को उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ के पास काकोरी स्टेशन के पास जो सरकारी खजाना लूटा गया था उसमें ठाकुर रोशन सिंह शामिल नहीं थे इसके बावजूद उन्हें 19 दिसंबर 1927 को इलाहाबाद के नैनी जेल में फांसी पर लटका दिया गया। ठाकुर रोशन सिंह की आयु (36) के केशव चक्रवर्ती इस डकैती में शामिल थे और उनकी शक्ल रोशन सिंह से मिलती थी। अंग्रेजी हुकूमत ने यह माना कि रोशन ही डकैती में शामिल थे। केशव बंगाल की अनुशीलन समिति के सदस्य थे फिर भी पकड़े रोशन सिंह गए।
ठाकुर रोशनसिंह
1906 युगांतर पार्टी संस्थापक जतिंद्रनाथ मुखर्जी(1879 से 1915) यह एक विद्रोही गुप्त संगठन था| इसका जन्म अनुशीलन समिति में उत्पन्न मतभेदों के कारण हुआ इसके प्रमुख नेता अरविंद घोष, बारिन घोष, उल्लासकर दत्त थे। जतिंद्रनाथ मुखर्जी को बाघा जतिन भी कहा जाता था। हिंदुस्तान रिपब्लिक एसोसिएशन से संबंधित यूपी के क्रांतिकारियों ने सहारनपुर लखनऊ लाइन पर काकोरी जाने वाली 8 डाउन मालगाड़ी को सफलतापूर्वक लूटा। इस कांड में 29 लोगों पर मुकदमा चलाया गया, जिसमें 17 लोगों को लंबी सजा 4 को आजीवन कारावास तथा 4 को फांसी की सजा दी गई।
जतिंद्रनाथ मुखर्जी
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना का मुख्य उद्देश्य सनातन संस्कृति को बनाए रखना एवं देश से जाति-पांति से परे सभी को एकता के सूत्र में बांधना, जिससे देश खुशहाल एवं समृद्धि की ओर अग्रसर रहें हिंदुत्ववादी विचारधारा से ओतप्रोत यह संगठन दुनिया का सबसे बड़ा सामाजिक संगठन है| इसकी शाखाएं भारत के अलावा विश्व के अन्य देशों में भी संचालित हैं|
डॉ केशवराव बलिराम हेडगेवार
19 वर्ष की आयु में फाँसी पर झूलने वाला क्रांतिकारी कन्हाई लाल दत्त" 19 वर्ष की आयु में यह लड़का जब फाँसी के तख्त पर खड़ा था तब चेहरे पर हल्की सी मुस्कुराहट थी। जेलर ने आखरी इच्छा के बारे में पूछा तो युवक ने कहा कि फाँसी जल्दी दी जाए ताकि में पुनर्जन्म लेकर भारत माता की सेवा करने वापस आ सकू। जेलर का हृदय इस युवक की बातें सुनकर रो पड़ा
कन्हाई लाल दत्त
हेमचंद्र कानूनगो दास (1871-1951), गुप्त क्रांतिकारी संगठन के अग्रणी नेताओं में से एक, और अलीपुर बम कांड (1908-09) में श्री अरबिंदो के साथ मुख्य सह-अभियुक्त थे। विस्फोटक और बम बनाने की कला सीखने के लिए वे इंग्लैंड और पेरिस गए। उन्हें अंडमान में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई, लेकिन 1921 में उन्हें रिहा कर दिया गया। 1906 की शुरुआत में, बैरिन ने हेमचंद्र दास और अन्य लोगों से संपर्क किया जो क्रांतिकारी कार्रवाई के लिए उत्सुक थे। जून में, वह और हेम बम्फिल्डे फुलर की हत्या करने के लिए पूर्वी बंगाल गए।
हेमचंद्र कानूनगो दास